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summarize दौस्ति की मिसाल: धर्म से परे इंसानियत की कहानी
Umesh Behera
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Rahim Badshah
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star_border Chapter 1: मित्रता की शुरुआत
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broken_image Add Media Insufficient credits अध्याय 1 - मित्रता की शुरुआत
गर्मी के एक सुंदर दिन में, छोटे से गांव 'घनश्यामपुर' में एक नया परिवार आया था। यह परिवार मुस्लिम समुदाय से था और बादशाह परिवार के नाम से जाना जाता था। पिता रहीम बादशाह, माता सलमा बेगम और बेटा रहीम बादशाह। रहीम एक 17 वर्षीय युवक था, जो अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहनों के साथ रहता था।
गांव के लोग इस नए परिवार का स्वागत करने में थोड़ा संकोच कर रहे थे, क्योंकि यह एक हिंदू बहुल गांव था। लेकिन रहीम का मिठास और सरल व्यवहार जल्द ही उन्हें सभी के दिलों में बैठ गया। वह गांव के बच्चों के साथ खेलने और उनकी मदद करने लगा। धीरे-धीरे रहीम और गांव के एक अन्य युवक, उमेश बेहरा, के बीच एक गहरी दोस्ती बन गई।
उमेश एक हिंदू परिवार से आता था। उसके पिता रामू बेहरा एक किसान थे और उसकी माता सुधा बेहरा गृहिणी थीं। उमेश अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहनों के साथ रहता था। वह एक मेधावी छात्र था और गांव में सबसे अच्छे छात्रों में से एक माना जाता था।
एक दिन, जब उमेश स्कूल से लौट रहा था, तो उसने रहीम को अकेले खड़े देखा। उमेश ने रहीम की मदद की पेशकश की और धीरे-धीरे दोनों युवकों के बीच एक मजबूत दोस्ती बन गई। वे एक-दूसरे के घर जाया करते और एक-दूसरे की मदद करते। उमेश रहीम को हिंदी में पढ़ने-लिखने की मदद करता और रहीम उमेश को उर्दू में सुधार करता।
गांव में दोनों परिवारों के बीच भी धीरे-धीरे एक अच्छा संबंध बन गया। रहीम के पिता रहीम बादशाह और उमेश के पिता रामू बेहरा अक्सर एक-दूसरे से मिलते और अपने परिवारों के बारे में बात करते। सलमा बेगम और सुधा बेहरा भी एक-दूसरे के घर जाया करती और आपस में मिठाइयां बांटती।
एक दिन, उमेश और रहीम स्कूल से लौट रहे थे। तभी अचानक आसमान में काले बादल छा गए और तेज़ हवाएं चलने लगीं। शीघ्र ही भारी बारिश शुरू हो गई और तेज़ तूफान आने लगा। गांव के कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और लोगों को बहुत परेशानी हो रही थी।
उमेश के घर में भी काफी नुकसान हुआ था। उसके पिता रामू बेहरा के खेत भी बर्बाद हो गए थे। उमेश बहुत चिंतित था और वह रहीम के घर गया। रहीम ने उमेश को देखकर उसकी मदद करने की पेशकश की। उमेश ने रहीम से कहा, "मेरा परिवार बहुत परेशान है। हमारा घर और खेत नष्ट हो गए हैं।" रहीम ने कहा, "मेरे घर में आ जाओ, हम आपकी मदद करेंगे।"
रहीम के पिता रहीम बादशाह ने भी उमेश के परिवार की मदद करने का फैसला किया। वह उमेश के पिता रामू बेहरा से मिले और उन्हें अपने घर में रहने का न्यौता दिया। रामू बेहरा ने इस दोस्ताना जेस्चर को स्वीकार कर लिया और अपना परिवार रहीम के घर में ले गए।
इस तरह, एक हिंदू और एक मुस्लिम परिवार एक साथ रहने लगे। रहीम और उमेश की दोस्ती और परिवारों के बीच बढ़ते संबंध ने गांव में एक नए उदाहरण की शुरुआत की। लोग देखकर हैरान थे कि धर्म और जाति के बावजूद, ये दो परिवार कैसे एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। यह सच्ची मानवता और सहयोग की भावना थी, जो सभी बाधाओं को पार कर गई।