यह कहानी है अर्जुन की... एक छोटे से गाँव में जन्मा एक गरीब लड़का। उसका सपना था पढ़-लिखकर कुछ बड़ा करना। मगर हालात... उसके खिलाफ थे।
उसके घर में बिजली नहीं थी, लेकिन वो चिराग की रौशनी में देर रात तक पढ़ता। माँ खेतों में काम करती थी, और अर्जुन घर के सारे काम निपटाकर पढ़ाई करता।
स्कूल में बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते, उसके पुराने कपड़ों और फटे बैग को देखकर। मगर अर्जुन ने कभी ध्यान नहीं दिया... उसकी नज़र सिर्फ अपने सपनों पर थी।
वो सुबह 4 बजे उठता, पहले दूध बाँटता, फिर स्कूल जाता। स्कूल के बाद खेतों में काम करता, और रात को पढ़ाई करता। थकावट उसके हौसले के आगे हार जाती थी।
फिर आया परीक्षा का दिन। अर्जुन ने मेहनत तो बहुत की थी... लेकिन डर उसे भी था। क्या वो सफल होगा?
जब रिज़ल्ट आया... अर्जुन की आंखों में आँसू थे... लेकिन इस बार ये आँसू दर्द के नहीं... खुशी के थे। उसने जिले में टॉप किया था।
आज वही अर्जुन... एक बड़ा अफसर है। जिसने अपनी गरीबी को अपने पैरों की ज़ंजीर नहीं बनने दिया... बल्कि सीढ़ी बना लिया।
अगर हालात तुम्हारे खिलाफ हों... तो मत घबराओ। मेहनत तुम्हारे साथ हो, तो किस्मत को भी झुकना पड़ता है।