from fpdf import FPDF
# Crea
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te instance of FPDF class with UTF-8 support using DejaVu font
pdf = FPDF(format='A4')
pdf.add_page()
# Add DejaVu fonts for Unicode support
pdf.add_font('DejaVu', '', '/usr/share/fonts/truetype/dejavu/DejaVuSans.ttf', uni=True)
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# Title
pdf.set_font('DejaVu', 'B', 18)
pdf.multi_cell(0, 10, "सच्ची दुनिया और सच्चा इंसान", align='C')
pdf.ln(5)
# Body
pdf.set_font('DejaVu', '', 12)
content = """दुनिया को बदलने से पहले, हमें खुद को समझना सीखना चाहिए।
अक्सर हम सोचते हैं कि दुनिया बुरी है, लोग गलत हैं, किस्मत साथ नहीं देती —
लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया वैसी ही होती है, जैसी हमारी सोच होती है।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था —
“जीवन का असली मूल्य इस बात में है कि हम दूसरों के लिए क्या करते हैं।”
जब हम दूसरों की मदद करते हैं, जब किसी के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं,
तो वहीं से हमारी असली सफलता शुरू होती है।
ज्ञान या पैसा बड़ा नहीं होता — बड़ी होती है इंसानियत।
महात्मा गांधी ने भी कहा —
“सत्य और अहिंसा ही सबसे बड़ी ताकत हैं।”
उन्होंने अपने जीवन से सिखाया कि सच्चाई पर टिके रहना कठिन जरूर है,
पर अंत में वही जीतता है।
जो खुद के अंदर की बुराइयों से लड़ता है, वही सच्चा विजेता होता है।
हम सब इस दुनिया को जानना चाहते हैं —
लेकिन असली समझ तब आती है, जब हम अपने मन की दुनिया को पहचानते हैं।
जब हम गुस्से की जगह धैर्य चुनते हैं,
नफरत की जगह प्यार, और डर की जगह विश्वास —
तभी हम दुनिया को वैसा देख पाते हैं, जैसी वो सच में है — सुंदर, सच्ची और अवसरों से भरी।
इसलिए याद रखिए —
दुनिया बदलने की शुरुआत “आप” से होती है।
अगर आप थोड़ा बेहतर इंसान बन जाएं,
तो आपकी वजह से दुनिया भी थोड़ी बेहतर हो जाएगी। 🌞"""
pdf.multi_cell(0, 8, content, align='J')
pdf.ln(10)
# Author name at the bottom right
pdf.set_font('DejaVu', '', 12)
pdf.cell(0, 10, 'लेखक: P.K. Yadav 720', 0, 0, 'R')
# Save PDF
file_path = "/mnt/data/Sacchi_Duniya_aur_Saccha_Insaan.pdf"
pdf.output(file_path)
file_path